غزل
آجاؤ چلا جاۓ نہ برسات کا موسم
کہتے ہیں اسے لوگ ملاقات کا موسم
جاڑا نہیں گرمی نہیں برسات نہیں ہے
گر کچھ بھی نہیں ہے تو ہے کس بات کا موسم
لگتی ہے مجھے اس میں زمانے کی شرارت
یوں خود سے بدلتا نہیں حالات کا موسم
عزیز رفیع فرحت بدایونی
آجاؤ چلا جاۓ نہ برسات کا موسم
کہتے ہیں اسے لوگ ملاقات کا موسم
جاڑا نہیں گرمی نہیں برسات نہیں ہے
گر کچھ بھی نہیں ہے تو ہے کس بات کا موسم
لگتی ہے مجھے اس میں زمانے کی شرارت
یوں خود سے بدلتا نہیں حالات کا موسم
عزیز رفیع فرحت بدایونی
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Urdu Ghazal by Aziz Rafi Farhat Badayuni |
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ग़ज़ल
आ जाओ चला जाये न बरसात का मौसम
कहते हैं इसे लोग मुलाक़ात का मौसम
जाड़ा नहीं गर्मी नहीं बरसात नहीं है
गर कुछ भी नहीं है तो है किस बात का मौसम
लगती है मुझे इसमें ज़माने की शरारत
यूँ ख़ुद से बदलता नहीं हालात का मौसम
आ जाओ चला जाये न बरसात का मौसम
कहते हैं इसे लोग मुलाक़ात का मौसम
जाड़ा नहीं गर्मी नहीं बरसात नहीं है
गर कुछ भी नहीं है तो है किस बात का मौसम
लगती है मुझे इसमें ज़माने की शरारत
यूँ ख़ुद से बदलता नहीं हालात का मौसम
अज़ीज़ रफ़ी फ़रहत बदायूनी
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